लेखक: हरी नारायण आपटे वाचक: विद्या पाटील
-------------------------------------------------------------------
एकोणीसाव्या शतकाच्या शेवटच्या दशकात महाराष्ट्रात सामाजिक कार्यकर्त्यांची जी गुरूशिष्य जोडी तळपत होती तिची ओळख मी या कादंबरीतील शिवरामपंत व त्यांचे शिष्य भाऊराव यावरून होते. सुंदरी व ताई सामाजिक बंधने झुगारून स्रियांच्या ऊद्धारासाठी कार्य हाती घेऊन समाजासाठी एक प्रेरणास्रोत वाटतात.शिवरामपंत,भाऊराव,सुंदरी व ताई यांच्या नात्यांची घट्ट वीण सहजरित्या मांडली आहेत.
-----------------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment