लेखक: महात्मा गांधी वाचक: विद्या पाटील
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येरवडा तुरुंगातून गांधीजी आपल्या आश्रमातील अनुयायांकरिता गीतेच्या एका अध्यायाचे सर दार आठवड्याला लिहून पाठवत. त्याचीच ही पुस्तक रूप आवृत्ती.
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