संपादक: अरुण नेरुरकर वाचक: विद्या पाटील
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१९९० ते २०१२ या कालखंडातील विज्ञानकथा प्रगतीशील जीवनाच महत्व दर्शवते. भविष्यातील संभाव्य घटनांच वास्तववादी भाकीत ज्यात आढळत त्या विज्ञानकथा. विज्ञानकथा वाचकांना ऐकताना रोचक व रंजक वाटतील यात शंका नाही.
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