लोकहितवादींची शतपत्रे
वाचक: आनंद वर्तक
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लोकहितवादी अर्थात गोपाळ हरी देशमुख यांनी १८४८ ते १८५० च्या काळात आपले मूलगामी विचार शतपत्रांच्या माध्यमातून मांडले. ते लिहितेसमयी त्यांचे वय जेमतेम २५ ते ३० वर्षांचे होते हे लक्षात घेता त्यांची प्रगल्भता अधिकच जाणवते!
आतापर्यंत वाचून तयार असलेली पत्रे:
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लोकहितवादी अर्थात गोपाळ हरी देशमुख यांनी १८४८ ते १८५० च्या काळात आपले मूलगामी विचार शतपत्रांच्या माध्यमातून मांडले. ते लिहितेसमयी त्यांचे वय जेमतेम २५ ते ३० वर्षांचे होते हे लक्षात घेता त्यांची प्रगल्भता अधिकच जाणवते!
आतापर्यंत वाचून तयार असलेली पत्रे:
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9 comments:
प्रिय श्री० आनंद वर्तक यांसी,
एका उत्तम आणि अभिनव उपक्रमाबद्दल अभिनंदन. त्याबद्दल खालील अनुदिनीवर प्रसिद्ध केलेला लेख पहा.
http://wp.me/pzBjo-x6
क०लो०अ०
- अमृतयात्री गट
It will be very easy to download if all the chapters of the book can be downloaded at just once. May be you can create a zip file that contains all the chapters.
Priya Shree Vartak,
Sumare 160 varshanpurvi Lokahitawadinni lihile te tumhi aaj jagawale ! Aajahi te titkech lagu padawe ashi samajachi sthiti aahe. Tyannche parakhad vichar wachun aaj 2012 madhye swatahchyahi kahi purogaami vicharanchi laaj watali ! Tumhi aani tumchya sahakaryanna anekanek dhanyawaad ! Narendra Deshmukh
(he comment post karanyajogi aasel tar Jamalyaas kartana devnagarit karavi).
Anek anek DHANYAWAD ANANDJI.
kahi lekh nahi aahet... krupaya te pan takave... dhanyavad
Thanks a ton!
उत्तम recordings आणि उत्तम पुस्तकांची निवड, खूप स्तुत्य उपक्रम असून आपण आणखी पुस्तके या स्वरुपात आणाल अशी आशा आहे. महात्मा फुले, ताराबाई शिंदे, बाबासाहेब आंबेडकर, वि.स.खांडेकर, आणि कवितांची पुस्तके ऐकला आवडतील...
खूपच छान !!!
khupach chhan aahe! apratim. jastit jast prasiddha pustake uplod zalit tar bare hoil. Prakash Bachhav
आजपर्यन्त लोकाहीत्वादिंचे नावं फक्त आईकण्यात होते, त्यांचे लेखन वाचण्यात आलेच नाही, पण या
उपक्रमाद्वारे लेखन विचार समाजाने फार मोठे आनंददाई आहे.
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