श्याम
वाचक: माधवराव वाबळे
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'श्यामची आई' लिहिणा-या सानेगुरुजींचं हे तसंच सुंदर दुसरं पुस्तक. श्यामच्या आईच्या आठवणी ऐकल्यावर श्यामच्या इतरही आठवणी ऐकायला मिळाव्यात असे वाचकांना वाटू लागले, व त्यांच्या इच्छेला मान देवून त्यांनी आपल्या इतर आठवणी या पुस्तकाच्या रूपाने प्रसिद्ध केल्या.
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'श्यामची आई' लिहिणा-या सानेगुरुजींचं हे तसंच सुंदर दुसरं पुस्तक. श्यामच्या आईच्या आठवणी ऐकल्यावर श्यामच्या इतरही आठवणी ऐकायला मिळाव्यात असे वाचकांना वाटू लागले, व त्यांच्या इच्छेला मान देवून त्यांनी आपल्या इतर आठवणी या पुस्तकाच्या रूपाने प्रसिद्ध केल्या.
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3 comments:
अतिशय सुंदर ,अशा उपक्रमात तुम्ही आहात फारच आनंद वाटला .माधवराव वाबळे सर यांना विनंती ...तुम्ही आम्हाला आम्ही लहान असतांना शाळेत जी बडबड जीते म्हणून दाखवली होती ती या उपक्रमातून वाचून दाखवावी ही विनंती ......कारण आमच्या मुलांना त्या ऐकवता येतील .-प्रविण वाबळे
Excellent voice and stories.
Languqge is not clean for some books like chhan chhan goshti, Shyamchi aai. Atyant ashuddha bhasha.
I understand ki he record karrane sope nahi. Pan mala aajibat aikavese vatale nahi. Jar lok aiknar nahi tar kharach kay upyog ya project cha?? Pleaqse shuddha ucchar aani bhasha aasanarya lokan kadunch record kara hi request.
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