गीताई

लेखक : आचार्य विनोबा भावे
वाचक: रजनीकांत चांदवडकर (rasucha@gmail.com)
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विनोबांच्या आईने बडोद्याला एका विद्वानाचे गीतेवरील प्रवचन ऐकले पण ते त्यांना ठीकसे समजले नाही, आणि त्यांनी विनोबांना गीतेचे मराठीत भाषांतर करण्यास सांगितले. विनोबा म्हणतात की आईच्या माझ्यावरील या विश्वासामुळेच मी हे भाषांतर करण्यास प्रेरित झालो. याची पहिली आवृत्ती १९३२ साली विनोबा धुळ्याच्या कारावासात असताना प्रसिद्ध झाली.


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अध्याय ६
अध्याय ७
अध्याय ८
अध्याय ९
अध्याय १०
अध्याय ११
अध्याय १२
अध्याय १३
अध्याय १४
अध्याय १५
अध्याय १६
अध्याय १७
अध्याय १८


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